Dec 16, 2010

मिलिए मानस खत्री जी से

मानस खत्री जी एक युवा कवी है, जिनका सूर्यादय हो रहा है. मैं आपको उनसे परिचय करना चाहता हूँ.
मानस खत्री जी १८ साल के है और अपनी कविता को ब्लॉग पर प्रकाशित करते है. वो कई कवी सम्मलेन में भी भाग ले चुके है. मैं एक-दो कविता यहाँ प्रस्तुत कर देता हूँ जिससे आप उनके बारे में जान सके!

बेवकूफ हैं प्यार में अपनी जान देने वाले,

सोंचते हैं सारी जिंदगी खत्म हो जायेगी|

चलती रेल के पीछे मत भागिये दोस्तों,

Waiting Room में बैठिये, दूसरी फिर आएगी||


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Another one sent by Manas itself:
१८ में यही होता है!(हास्य-कविता)

युवा मन सपने संजोता है,
'तन्हाई' में चुप कर रोता है|
जब 'उम्मीदों का अंत' नहीं होता है,
जब जागते हुए भी इंसान सोता है|
समझ गए होंगे आप यह १८ है,
१८ में यही होता है||

जब चेहरे पर हर समय Smile होती है,
जब चीज़ें Branded होती हैं, Style होती है|
जब Smart और Handsome वाले Hot and Cool होते हैं,
जब कलमों की जगह, 'गुलाब के फूल' होते हैं|
जब हर प्रश्न का जवाब देना भी, Possible नहीं होता है,
अब और क्या बताएँ यह १८ है,
१८ में भैया जी यही होता है||

जब Exam के Just पहले वाली रात, होती Most Haunted है,
जब आप हो जाते/जाती अपने मोहल्ले के/की Most Wanted हैं|
जब Chemistry की किताबों में भी, 'दोस्तों के चित्र' दिखते हैं,
जब 'मध्य-रात्रि' में भी सपने, 'पवित्र' दिखते हैं|
जब चुप-चाप रहना भी Possible नहीं होता है,
क्यों सही है न? ये १८ है,
१८ में 'दीदी जी' यही होता है||

जब 'दोस्त से बढ़कर...' की Stage होती है,
जब दुनिया की नज़रों में भी Image होती है|
जब Heart के भी Figure अनेक होते हैं,
जब जीते-जागते भी Heart-Break होते हैं|
जब Feeling को Control कर पाना भी, Possible नहीं होता है,
अब आप से क्या छिपाना ये १८ है,
१८ में 'अंकल जी' यही होता है||

जब सुबह का खाना आप शाम को खाते हैं,
जब School/Collage की Canteen से ही काम चलाते हैं|
जब माँ खड़ी दरवाज़े पर इंतज़ार करती हैं,
जब Late आने के आप 'बहाने' हज़ार करती हैं|
जब सब 'सच-सच बतलाना' भी Possible नहीं होता है,
अब कैसे कहूँ ये १८ है,
१८ में 'आंटी जी' यही होता है||

माना की हम युवा हैं, हमारे पास शक्ति ढेर सारी है,
पर भैया/दीदी जी कुछ हमारी भी तो 'ज़िम्मेदारी' है|
पढ़-लिख कर कुछ करना है, हिंदुस्तान का नाम रोशन करना है,
फिर Next-Generation का भी तो 'इंतज़ाम' करना है|
Manas Khatri का है Experience,
बिना मेहनत के कुछ भी Possible नहीं होता है,
फूँक-फूँक के कदम रखना होगा ये १८ है,
१८ में 'बहुत कुछ' होता है||