क्यों फिक्र गिरने की जब
बादलों को छूने का हौसला है तुम में ,
बस निडर बनो और बढ़ चलो
नहीं होते परवाज़ सभी के पास,
लग जायेंगे पंख पैरों में ,
उड़ने की चाह लेकर बस उड़ चलो |
मंजिल की फिक्र किस बात की
जब रास्ते पर है तुम्हे यकीं
हर मोड़ पर मिलेगी एक नयी मंजिल
यह अभी से मान के चलो |
साथी साथ हो तो अच्छा है
साथ ना मिले तो एकला चलो |
चले हो तुम तो फिर ठोकर का डर क्यूँ !
चल दिया है तो फिर शान से चलो !!
- By Rakesh